भारतीय जनमानस में जीवन बीमा के महत्व के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं है। इसलिए बीमा कंपनियां लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं। 'सबसे पहले लाइफ इंश्योरेंस’ अभियान भी इसी दिशा में एक कदम है।
'सबसे पहले लाइफ इंश्योरेंस’ अभियान उन प्रमुख 24 कंपनियों का संयुक्त प्रयास है, जो भारत में बीमा उद्योग का गठन करती हैं। इसके तहत 'म्यूचुअल फंड्स सही है' अभियान की तर्ज पर ही जागरूकता फैलाने का काम किया जाता है, जो कि म्यूचुअल फंड्स के बारे में जागरूकता फैलाने का ऐसा ही एक प्रयास है, जो बेहद सफल रहा है और उस अभियान को म्यूचुअल फंड्स के लिए बड़े पैमाने पर लोगों में लोकप्रियता हासिल करने का श्रेय दिया जाता है। इस अभियान में वैसी ही समान संरचना और एजेंडा है, अंतर केवल यह है कि यह बीमा को बढ़ावा दे रहा है। कंपनियां क्षेत्रीय पहुंच के लिए तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगला और मलयालम जैसी स्थानीय भाषाओं में लोगों को आकर्षित कर रही हैं।
जागरूकता फैलाने की क्या जरूरत है?
बीमा को भारत में बहुत से लोगों द्वारा फालतू खर्च वाली जरूरत के रूप में देखा जाता है। यहां तक कि यह गलत धारणा भी है कि बीमा पॉलिसी एक अनावश्यक खर्च है और प्रीमियम के रूप में निवेश किया गया पैसा यदि अन्य वित्तीय साधनों में जोड़ा जाए या निवेश किया जाए तो बीमा की तुलना में कहीं बेहतर रिटर्न हासिल हो सकता है।
भारत जैसे विशाल और बड़ी आबादी वाले देश के लिए जीवन बीमा की पैठ इतनी नहीं है, जितनी कि वास्तव में होनी चाहिए। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा संकलित वित्त वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार बीमा भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का मात्र 3.69 प्रतिशत है। देश में बड़े पैमाने पर सक्रिय एकमात्र बीमा पॉलिसी 'जन सुरक्षा' योजना है, जो 330 रुपए के वार्षिक प्रीमियम पर 2 लाख रुपए का कवर प्रदान करती है। 'सबसे पहले लाइफ इंश्योरेंस' अभियान का उद्देश्य लोगों को अपना बीमा कराने की दिशा में प्रेरित करना है।

बीमा कंपनियों के सामने क्या चुनौतियां हैं?
विशेषज्ञों का दावा है कि लोगों द्वारा बीमा कराने को तरजीह न देने का एक बड़ा कारण भ्रामक नियम और शर्तों के साथ-साथ इसकी जटिल प्रकृति भी है। लंबी कागजी कार्रवाई और आवश्यक दस्तावेजों की लंबी सूची के अलावा उक्त कारण खरीदारों के लिए एक बड़ी बाधा के रूप में कार्य करते हैं।
बाजार में विभिन्न प्रकार की जीवन बीमा योजनाएं उपलब्ध हैं। उपलब्धता कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन लोगों की कम वित्तीय समझ अवश्य एक मुद्दा है।
मुख्य चुनौती लोगों को इस बारे में आश्वस्त करना है कि जीवन बीमा एकमात्र तरीका है, जिसके माध्यम से किसी भी अनहोनी की स्थिति में अपने आश्रितों और परिवार को सुरक्षित किया जा सकता है। लोग बीमा को टैक्स की बचत वाले तरीके के रूप में देखते हैं। चूंकि बहुत से लोग केवल टैक्स में छूट संबंधी लाभ लेने के लिए बीमा कराते हैं, इसके कारण बुनियादी बीमा योजनाओं की बिक्री बढ़ जाती है। इस वजह से बहुत कम लोग ही अधिक लाभ और उच्च प्रीमियम वाली बीमा योजनाओं को खरीदना पसंद करते हैं।
उपाय क्या है?
विशेषज्ञों के अनुसार उत्पादों के बारे में अधिक स्पष्टता और आसान भाषा एवं और खरीद प्रक्रिया के अलावा योजनाओं को सरल बनाने से लोगों में अधिक विश्वास पैदा किया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीमा का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। यही वह चीज है, जिसे प्रमोटर लक्षित कर रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य बीमा उत्पादों के बारे में सरल शब्दों में समझाना है, जिसे आम आदमी भी आसानी से समझ सके। इसके अलावा उद्योग की अग्रणी हस्तियों का उद्देश्य उद्योग को व्यवस्थित करना और बीमा के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को अत्यंत सरल बनाना है, ताकि उन्हें अधिक से अधिक ग्राहक मिल सकें।
भारतीय जनमानस में जीवन बीमा के महत्व के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं है। इसलिए बीमा कंपनियां लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं। 'सबसे पहले लाइफ इंश्योरेंस’ अभियान भी इसी दिशा में एक कदम है।